योग से ही सम्पूर्ण व्यक्तित्व का रूपांतरण संभव

A complete transformation by Yog

योग से व्यक्ति केवल निरोग ही नहीं बल्कि अपने ने संपूर्ण व्यक्तित्व का रूपांतरण कर सकता है। योग आत्मसाक्षात्कार की सर्वोत्तम विद्या है इस विद्या के सहारे सहस्रों ऋषि-मुनियों ने आत्म तत्व को पाया थायोग स्वस्थ जीवन, संतुलित मन,और शुद्ध आत्मिक शक्तियों के जागरण की प्रभावित क्रिया है योग का शाब्दिक अर्थ है जोड़ना, संयुक्त होना। चित्त के प्रवाह को किसी एक पवित्र ध्येय के साथ जोड़ना विषय जगत की ओर अग्रसर इन्द्रिय समूह को एक दिशागामी बनाना ही योग का मुख्य ख्या लक्ष्य है "योगश्चित्त वृति निरोधः" अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध करना योग है

तो आइए हम देखते हैं कि योग के द्वारा हम कैसे संपूर्ण व्यक्तित्व को प्राप्त कर सकते हैं योग से होने वाले लाभ के बारे में एक विस्तृत चर्चा करते हैं इस कोरोना संकटकाल में सभी को ज्ञात हुआ कि योग से व्यक्ति अपनी रोगप्रतिरोधक शक्ति का विकास कर तथा आतंरिक अंगों को मजबूत बनाकर बड़ी से बड़ी बीमारियों से बच सकता है। शारीरिक स्वास्थ्य तो स्थूल बात है , योग का प्रमुख लाभ तो आंतरिक शक्तियों का जागरण तथा तीसरे नेत्र की प्राप्ति है। योग का परम लक्ष्य तो उत्तम समाधि की प्राप्ति है। योग न केवल शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है बल्कि योग के द्वारा हम अपने परम लक्ष्य अर्थात मोक्ष को भी प्राप्त कर सकते हैं। भगवान ऋषभ के समय योग का उपयोग आत्म प्राप्ति ही था। भगवान महावीर का साधनाकाल ध्यान साधना में ही बीता ,जिसके द्वारा उन्होंने अपने परम लक्ष्य को प्राप्त किया। महर्षि पतंजलि ने भी इसे रोग मुक्ति से लेकर समाधि की प्राप्ति का साधन बताया



महर्षि पतंजलि द्वारा योग के आठ अंग बताये गए हैं :
  1. यम 
  2. नियम 
  3. आसन 
  4. प्राणायाम 
  5. प्रत्याहार 
  6. धारणा 
  7. ध्यान 
  8. समाधि 
आज हम केवल आसन व प्राणायाम पर चर्चा करेंगे। शरीर को विशेष स्थिति में सुखपूर्वक स्थिर रखने को आसन कहते हैंआसन करने से शरीर सुदृढ़ होता है तथा मांसपेशियों में रक्तसंचार ठीक प्रकार से होता। जिससे वह अंग सही प्रकार से कार्य करता है और उसकी क्षमता बढ़ती है प्रत्येक आसन का शरीर के विभिन्न अंगों पर विशेष प्रभाव होता है। प्राणायाम का अर्थ है प्राण अथवा श्वास को विभिन्न आयामों द्वारा नियंत्रित करना। प्राणायाम करने से शरीर में स्थित सभी नस नाड़ियों का शोधन होता है। प्राणायाम का प्रयोग तंत्रिका तंत्र व अंतः श्रावी ग्रंथियों को सुचारु करता है तथा मन को शांत बनाता है। तो हम कुछ अति उपयोगी आसनों और प्राणायाम पर चर्चा करते हैं:



सूर्य नमस्कार आसन :

सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। इसी कारण प्राचीन ऋषि-मुनि सूर्य की पूजा-अर्चना करते थे। 'सूर्य नमस्कार' का मतलब है सूर्य को नमन करना यानि सन सेल्यूटेशन (Sun Salutation)। अगर आप योग की शुरुआत कर रहे हैं तो इसके लिए 'सूर्य नमस्कार' का अभ्यास सबसे बेहतर है। यह आपको एक साथ 12 योगासनों का फायदा देता है और इसीलिए इसे सर्वश्रेष्ठ योगासन भी कहा जाता है। यह केवल उपासना न होकर एक संपूर्ण योग पैकेज है। सूर्य नमस्कार 12 शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है।
यह न केवल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी हैं बल्कि दिमाग को फिट रखने के लिए भी अहम है। सूर्य नमस्कार के 12 चरण का हर रोज अभ्यास करने से दिमाग सक्रिय और एकाग्र बनता है। आमतौर पर इसका अभ्यास सुबह खाली पेट किया जाता है। सुबह के समय खुली जगह पर इसे करें, जहां आपको ताजा हवा मिले।


सूर्य नमस्कार के 12 आसन :

  1. प्रणाम आसन (Prayer pose) : अपने आसन पर खड़े हो जाएँ, अपने दोनों पंजे एक साथ जोड़ कर रखें और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। श्वास लेते हुए दोनों हाथ बगल से ऊपर उठाएँ और श्वास छोड़ते हुए हथेलियों को जोड़ते हुए छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में ले आएँ
  2. हस्तउप्रणाम त्तानासन  (Raised Arms pose) : श्वास लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएँ और पीछे ले जाएँ व बाजुओं को कानों के समीप रखें। इस आसन में पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करें।
  3. हस्तपाद आसन (Hand to Foot pose) : श्वास लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएँ और पीछे ले जाएँ व बाजुओं की द्विशिर पेशियों (बाइसेप्स) को कानों के समीप रखें। इस आसन में पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करें।
  4. अश्व संचालन आसन (Equestrian pose) : श्वास लेते हुए जितना संभव हो दाहिना पैर पीछे ले जाएँ, दाहिने घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं, दृष्टि को ऊपर की ओर ले जाएँ। सुनिश्चित करें कि बायां पैर दोनों हथेलिओं के बीच में रहे।
  5. दंडासन Dandasana (Stick pose) : श्वास लेते हुए बाएँ पैर को पीछे ले जाएँ और संपूर्ण शरीर को सीधी रेखा में रखें।
  6. अष्टांग नमस्कार  Ashtanga Namaskara (Salute With Eight Parts Or Points) : आराम से दोनों घुटने ज़मीन पर लाएँ और श्वास छोडें। अपने कूल्हों को पीछे उपर की ओर उठाएँ, पूरे शरीर को आगे की ओर खिसकाएँI अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से छुएँ।

    अपने कुल्हों को थोड़ा उठा कर ही रखेंI अब दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठुड्डी (शरीर के आठ अंग) ज़मीन को छूते हुए होंगे।

  7. भुजंग आसन Bhujangasana (Cobra pose) : आगे की ओर सरकते हुए, भुजंगासन में छाती को उठाएँ  कुहनियाँ मुड़ी रह सकती हैं। कंधे कानों से दूर और दृष्टि ऊपर की ओर रखें।
  8. पर्वत आसन  Parvatasana (Mountain pose) : श्वास छोड़ते हुए कूल्हों और रीढ़ की हड्डी के निचले भाग को ऊपर उठाएँ, छाती को नीचे झुकाकर एक उल्टे वी  के आकार में आ जाएँ।
  9. अश्वसंचालन आसन  Ashwa Sanchalanasana (Equestrian pose) : श्वास लेते हुए दाहिना पैर दोनों हाथों के बीच ले जाएँ, बाएँ घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं। दृष्टि ऊपर की ओर रखें
  10. हस्तपाद आसन Hasta Padasana (Hand to Foot pose) : श्वास छोड़ते हुए बाएँ पैर को आगे लाएँ, हथेलियों को ज़मीन पर ही रहने दें। अगर ज़रूरत हो तो घुटने मोड़ सकते हैं।
  11. हस्तउत्थान आसन | Hastauttanasana (Raised Arms pose) : श्वास लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे ऊपर लाएँ, हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएँ, कुल्हों को आगे की तरफ धकेलें।
  12. प्रणाम आसन (Prayer pose) : श्वास छोड़ते हुए प्रथम स्थिति में वापस आएं





सूर्य नमस्कार करने के फायदे :


1.  पाचन तंत्र को करें मजबूत: यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपका पाचन तंत्र मजबूत हो सकता है। इससे आपकी पेट संबंधित समस्या दूर हो सकती है।


2. शरीर में लाए लचीलापन : सूर्य नमस्कार एक अच्छा व्यायाम माना जाता है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो इससे आपके शरीर में लचीलापन पैदा हो सकता है और आपको झुकने उठने में आसानी होगी।


3. वजन को करें कंट्रोल : यदि आप मोटापे की समस्या से परेशान है, तो सूर्य नमस्कार आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा। इसे करने से शरीर पर जोर पड़ता है और आपकी अनावश्यक चर्बी धीरे-धीरे कम हो सकती है।


4. शारीरिक मुद्राओं में लाएं सुधार : यदि आप बैठने वाला काम ज्यादा कर रहे हो, तो आपके लिए सूर्य नमस्कार बेहद फायदेमंद हो सकता है। सूर्य नमस्कार करने से शरीर का दर्द खत्म होता है।


5. हड्डियों को करे मजबूत : सूर्य से निकलने वाली विटामिन डी हमारे हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो हड्डी से संबंधित बहुत सारी बीमारियां दूर हो सकती है।


6. तनाव को कम करने में लाभदायक : सूर्य नमस्कार करते समय हम लंबी सांस लेते है, जिसकी वजह से हमारे शरीर में होने वाली बेचैनी और तनाव बहुत हद तक दूर होती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो अपका तनाव बहुत हद तक दूर कर सकता है।


7. कब्ज दूर करे : झुकने वाले कामों को करने से कब्ज की समस्या कभी भी नहीं होती है। यदि आप सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करें, तो आपकी कब्ज की शिकायत बहुत हद तक दूर हो सकती है।


8. अनिद्रा की समस्या करे दूर : सूर्य नमस्कार करने से शरीर को राहत मिलती है। इसकी वजह से हमें नींद अच्छी आती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपकी अनिद्रा की समस्या बहुत हद तक दूर हो सकती है।


9. ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने में लाभदायक : सूर्य नमस्कार करने से शरीर में खून का संचार तेजी से होता है। इससे पूरे शरीर को एनर्जी मिलती है और हम किसी काम को करने में समर्थ रहते है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपका ब्लड सर्कुलेशन हमेशा ठीक रह सकता है।


10. पीरियड की समस्या को करे दूर : महिलाओं में पीरियड सही समय पर ना होने की समस्या अक्सर सुनने को मिलती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो इस आपके शरीर में हार्मोस बैलेंस रह सकता है और पीरियड हमेशा सही समय पर हो सकता हैं।


11. त्वचा को रखे खूबसूरत : सूर्य नमस्कार करने से कब्ज की समस्या आसानी से दूर होती है। आपको बता दें, कि कब्ज की वजह से ही ज्यादातर त्वचा की समस्या उत्पन्न होती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपके चेहरे की झुर्रियां बहुत हद दूर हो सकती है।


12. मन की एकाग्रता को बढ़ाने में लाभदायक : प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से वात पित्त और कफ जैसी समस्या शांत होती हैं। डॉक्टरों के अनुसार ऐसी समस्या उत्पन्न होने से मन की एकाग्रता खत्म हो जाती है। यदि आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, तो आपको इस तरह की बीमारियों से निजात मिल सकता है और आपकी मन की एकाग्रता सही बनी रह सकती हैं।




Starching increases Strength
Stretching Increases Strength




अब हम कुछ  प्राणायामों के विषय में जानेंगे। श्वास को विविध आयाम से लेने की कला है प्राणायाम। श्वास सभी लेते हैं  पर जब जागरूकता पूर्वक श्वासों पर ध्यान  केंद्रित कर विशेष प्रकार से लिया जाता है तो वही प्राणायाम बन जाता है। जहाँ आसन बाहरी शरीर को मजबूत करते हैं तो प्राणायाम से भीतरी शक्ति उत्त्पन्न होती है, प्राण ऊर्जा का विकास होता है।  जिससे सभी शारीरिक व  मानसिक  क्रियाएं समन्वित हो जाती हैं।  शरीर के अंदरूनी श्राव संतुलित हो जाते यहीं। जिससे संभव होता है एक सम्पूर्ण रूपांतरण। 


भस्तिका प्राणायाम :

सुखासन में बैठ कर प्रयास पूर्वक लम्बे गहरे श्वास लेना ही भस्तिका प्राणायाम है। भस्तिका प्राणायाम के द्वारा फेफड़ों सहित सम्पूर्ण  श्वसन तंत्र को शक्तिशाली बनाने में मदद मिलती है। जब हम बलपूर्वक अधिक लम्बा व गहरा श्वास ग्रहण करते हैं तब हम सामान्य से बहुत अधिक ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। वह ऑक्सीजन शरीर में ऊर्जा व स्फूर्ति को उत्पन्न करती है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होने से विभिन्न व्याधियां जैसे कि कैंसर, अस्थमा, मौसमी संक्रमण तथा श्वसन तंत्र के रोगों में विशेष लाभ होता है। इस प्राणायाम को पांच मिनट से लेकर पंद्रह मिनट तक किया जा सकता है। 

भस्तिका प्राणायाम के लाभ:
  1. श्वसन तंत्र व् पाचन तंत्र पर विशेष प्रभाव। 
  2. अस्थमा को ठीक करने में सहयोगी 
  3. मन को स्थिर करता है। 
  4. कैंसर के उपचार में प्रभावी। 
  5. रक्त में ऑक्सीजन के लेवल को है। 
  6. सम्पूर्ण शरीर में ऊर्जा व  स्फूर्ति के संचार में सहयोगी। 
नोट :उच्च रक्तचाप के रोगी सामान्य वेग से करें। तथा बलपूर्वक न करें। 


कपाल-भाति प्राणायाम :

कपाल भाति संस्कृत के शब्द कपाल + भाति  से बना है।  कपाल  का अर्थ है सिर व  भाति  का अर्थ है चमक। कपालभाति प्राणायाम  का अर्थ हुआ जिस  प्राणायाम से माथा चमक उठे।  कपालभाति प्राणायाम एक प्रसिद्ध योग तकनीक है, जिसमें तेज और बलपूर्वक श्वास-प्रश्वास का अभ्यास किया जाता है। यह श्वास प्रक्रिया नासिका से होती है और पेट की मांसपेशियों का सक्रिय रूप से संकुचन होता है। कपालभाति प्राणायाम के कई लाभ हैं, जैसे कि यह शरीर से विषैले तत्वों को निकालता है, पाचन तंत्र को मजबूत करता है, और मेटाबोलिज्म को बढ़ावा देता है। यह मानसिक तनाव को कम करता है और मानसिक शांति व एकाग्रता को बढ़ाता है। इसके नियमित अभ्यास से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है। इस प्राणायाम से असाध्य बीमारियां जैसे कैंसर , शुगर, आदि खत्म  हो जाती हैं। 

नोट :उच्च रक्तचाप के रोगी सामान्य वेग से करें। तथा बलपूर्वक न करें। एक मिनट में  एक स्ट्रोक सहज गति व  सहज वेग से करें। 



अनुलोम-विलोम प्राणायाम :

अनुलोम विलोम प्राणायाम एक सरल और प्रभावी योग तकनीक है जिसमें एक नासिका से सांस ली जाती है और दूसरी नासिका से छोड़ी जाती है। यह प्राणायाम मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ावा देता है। इसके नियमित अभ्यास से श्वसन तंत्र को मजबूती मिलती है और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार होता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम से तनाव और चिंता में कमी आती है, रक्त संचार बेहतर होता है, और शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है। यह हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में सहायक है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके साथ ही यह ध्यान और एकाग्रता को भी बढ़ाता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। नियमित अभ्यास से हृदय और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार होता है, तनाव और चिंता कम होती है। अनुलोम विलोम से मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है, जिससे मानसिक स्पष्टता और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। यह प्राणायाम नाड़ी शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिससे शरीर की सभी नाड़ियाँ शुद्ध होती हैं और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है। आँखों ज्योति बढ़ती है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम 



भ्रामरी प्राणायाम :

भ्रामरी प्राणायाम एक प्राचीन योग प्रक्रिया है जो आपको शांति और स्थिरता प्रदान करती है। इसमें श्वास भर कर भँवरे की गुंजन किया जाता है। यह आपकी मानसिक स्थिति को सुधारता है और तनाव को कम करता है। इसके अन्य लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. मानसिक चिंता को कम करता है।
  2. मस्तिष्क की स्थिति को सुधारता है।
  3. ध्यान को बढ़ावा देता है।
  4. नींद की समस्याओं को दूर करता है।



इस प्रकार इस ब्लॉग के माध्यम से हमने योग के रहस्यों तथा योग से होने वाले लाभ के बारे में जाना। योग सिर्फ प्रक्रिया नहीं बल्कि जीने की कला है,जीने का विज्ञान है।
इस प्रकार यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी - "योग से ही सम्पूर्ण व्यक्तित्व का रूपांतरण संभव है। "

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